ओवरलोडिंग ट्रक चलवाने वाले गिरोह की जांच की जद में आए 21 जिलों के 35000 नम्बर
ओवरलोडिंग ट्रकों के जरिये सामने आए परिवहन घोटाले की जांच की जद में अब तक 21 जिलों के 35000 मोबाइल नम्बर आ गए हैं। तीन सालों में इन नम्बरों पर गिरोह से लेकर कर्मचारी और अफसरों में बात हुई थी। इन नम्बरों को फिल्टर किया जा रहा है। इसके लिए पुलिस और एसटीएफ की दो टीमें इस पर दिन-रात काम कर रही है।पुलिस सूत्रों के मुताबिक इन्हीं नम्बरों से दलालों-कर्मचारियों और अफसरों की सांठ-गांठ सामने आएगी।
एसटीएफ ने 24 जनवरी को बेलीपार थाना क्षेत्र से एक ऐसे गैंग को गिरफ्तार किया था जो ओवरलोडिंग ट्रकों को पास कराने के बदले पैसा लेता था और उन पैसों को आरटीओ के कर्मचारियों और अधिकारियों तक पहुंचता था जिससे ओवरलोडिंग गाड़ियों की कहीं भी चेकिंग नहीं होती थी। एसटीएफ ने गैंग सरगना धर्मपाल और मनीष सिंह सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। उनके यहां से बरामद डायरी और रजिस्टर के अधार पर 21 जिलों में इनके गैंग के सक्रिय होने की बात सामने आई थी। डायरी और रजिस्टर तथा नम्बर के आधार पर 16 जिलों के आरटीओ विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों का नाम भी एसटीएफ ने फर्द में जिक्र किया वहीं 50 से ज्यादा मोबाइल नम्बरों को भी जांच के दायरे में शामिल किया।
दर्ज मुकदमे की विवेचना के लिए एसएसपी गोरखपुर ने एसआईटी गठित की सीओ कैंट सुमित शुक्ला के नेतृत्व में एसआईटी मामले की विवेचना कर रही है। एसआईटी ने पिछले तीन सालों में 21 जिलों के आरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का ब्योरा और मोबाइल नम्बर मांगा है। यह नम्बर अभी एसआईटी को मिले नहीं है। इस बीच फर्द में दर्ज नम्बरों के आधार पर एसआईटी के साथ ही एसटीएफ की टीमें सांठ-गांठ जोड़ने में जुट गई। जांच में अब तक 35000 नम्बर सामने आए हैं। इन नम्बरों से बात हुई है। जांच में ऐसे भी कई नम्बर मिले हैं जो जारी किसी और के नाम से हुए हैं और इस्तेमाल कोई और कर रहा था। ये सारे तथ्य एक के बाद एक जोड़े जा रहे हैं।
भ्रष्टाचार की विवेचना हो सकती है ट्रांसफर
ओवरलोडिंग प्रकरण में आरटीओ के अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले की विवेचना गोरखपुर में पुलिस की एसआईटी का रही है। पर यह केस 21 जिलों से जुड़े होने के नाते इसके जांच का दायरा काफी बड़ा हो गया है। उसे देखते हुए अब उम्मीद जताई जा रही है कि यह विवेचना किसी और संस्था को ट्रांसफर हो सकती है। शासन में इसको लेकर पिछले एक सप्ताह से मंथन चल रहा है। शासन में फर्द की कापी के साथ ही एसटीएफ की रिपोर्ट का भी अध्यन किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की भी चल रही है तैयारी।
कोर्ट जाने को राह तलाश रहे दागी
ओवरलोडिंग की वसूली को लेकर दर्ज एफआईआर की फर्द में शामिल आरटीओ के अफसर और कर्मचारी किसी तरह से भी इससे निकलने की कोशिश में जुट गए हैं। अन्य माध्यमों से जब उनकी दाल नहीं गली है तो कुछ ने कोर्ट का भी रुख किया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक नामी वकीलों के जरिये एफआईआर को संदेहास्पद बनाने की कुछ अधिकारियों ने कोशिश शुरू कर दी है।पुलिस अफसरों का कहना है एफआईआर को रद्द कराना इतना आसान नहीं है। काफी तथ्यों की जांच होनी है। बस इतना ही हो सकता है कि अफसरों को अग्रिम जमानत मिल जाए पर भ्रष्टाचार के मामले में वह भी इतना आसान नहीं है।